THE 2-MINUTE RULE FOR HINDI POETRY

The 2-Minute Rule for Hindi poetry

The 2-Minute Rule for Hindi poetry

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सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला,

ऐसे मधु के दीवानों को आज बुलाती मधुशाला।।१६।

यम ले चलता है मुझको तो, चलने दे लेकर हाला,

धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,

भर भरकर है अनिल पिलाता बनकर मधु-मद-मतवाला,

प्रति रसाल तरू साकी सा है, प्रति मंजरिका है प्याला,

छक छक, झुक झुक झूम रही हैं, मधुबन में है मधुशाला।।३५।

किसी ओर मैं आँखें फेरूँ, दिखलाई देता प्याला,

बनें रहें ये पीने वाले, बनी रहे यह मधुशाला।।२८।

सिंधँु-तृषा दी किसने रचकर बिंदु-बराबर मधुशाला।।६८।

मैंने देखा है अभी अभी उसने बिक्रम के प्राण लिए जल्दी बोलो क्या करना है घनघोर घटा घिर जाएगी छिन गया उदय हाथों से यदि मुख पर कालिख लग जाएगी

शरणस्थल बनकर न मुझे यदि अपना लेती मधुशाला।।४६।

क्या पीना, निर्द्वन्द न जब तक ढाला प्यालों पर प्याला,

होने दो पैदा मद का महमूद जगत में website कोई, फिर

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